Tuesday, April 3, 2012

पोस्ट

आज हिंदी/उर्दू में लिखने का मन है. काफी दिन हुए कुछ ढंग का लिखे हुए. आजकल यूं ही कुछ भी पोस्ट कर दिए जा रही हूँ, ताकि मन को तसल्ली रहे कुछ तो लिखा है मैंने. हो सकता है यूं लिखना लेखन का नहीं, मेरी नासमझी का प्रतीक हो, पर कभी-कभार नासमझी में ही सुकून है. और इसी बहाने मेरी रोजमर्रा की आदतें वगेहरा भी दर्ज हो जाया करती हैं.

कल शाम से ही पढ़ाई का भूत सवार है. बेशक मुझे पसंद भी है किताबों से घिरे रहना. कुछ देर में library के लिए रवाना हो जाउंगी. सामाजिक अधिकारों के मुद्दे पर एक निबंध लिखना है. आजकल इसी पर किताबें आदि पढ़ रही हूँ.

विषय मूलतः स्वास्थ और शिक्षा सम्बन्धी अधिकारों का है. क्या वाकई ये 'अधिकार' हैं, या लोगों कि 'ज़रूरतें'? और अगर ज़रूरतें हैं तो क्या आम आदमी हक़ रखता है इन अधिकारों को 'मांगने' का? कहीं पढ़ा कल कि हमारा संविधान हमें स्वास्थ का अधिकार तो देता है, हमारे स्वस्थ्य रहने का जिम्मा नहीं लेता. अंग्रेजी में कहूं तो "we have a right to health, not a right to be healthy". सही भी है शायद. और दिलचस्प भी.

अरसा हुआ हिंदी में कुछ अच्छा पढ़े हुए, शायद इसलिए ज़ेहन में अच्छे/सही शब्दों कि खासी कमी है. कोशिश रहेगी आगे कुछ बेहतर लिखू. जब लिखू.