I miss writing. As if I have lost it somewhere - I don't know where I have kept it. I come to you looking for it..but it is no where to be found.
Friday, September 26, 2014
Friday, September 19, 2014
मेरी जान फक़त चंद ही रोज़
चंद रोज़ और मेरी जान फक़त चंद ही रोज़
ज़ुल्म की छाँव में दम लेने पर मजबूर हैं हम
इक ज़रा और सितम सह लें, तड़प लें, रो लें
अपने अजदाद की मीरास है माजूर हैं हम
जिस्म पर क़ैद है ज़ज्बात पे जंजीरें हैं
फ़िक्र महबूस है गुफ्तार पे ताजीरें हैं
और अपनी हिम्मत है कि हम फिर भी जिए जाते हैं
जिंदगी क्या किसी मुफलिस की कबा है
जिस में हर घड़ी दर्द के पैबंद लगे जाते हैं
ज़ुल्म की छाँव में दम लेने पर मजबूर हैं हम
इक ज़रा और सितम सह लें, तड़प लें, रो लें
अपने अजदाद की मीरास है माजूर हैं हम
जिस्म पर क़ैद है ज़ज्बात पे जंजीरें हैं
फ़िक्र महबूस है गुफ्तार पे ताजीरें हैं
और अपनी हिम्मत है कि हम फिर भी जिए जाते हैं
जिंदगी क्या किसी मुफलिस की कबा है
जिस में हर घड़ी दर्द के पैबंद लगे जाते हैं
लेकिन अब ज़ुल्म की मियाद के दिन थोड़े हैं
इक ज़रा सब्र कि फ़रियाद के दिन थोड़े हैं
अरसा-ए-दहर की झुलसी हुई वीरानी में
हमको रहना है पर यूँ ही तो नहीं रहना है
अजनबी हाथों का बेनाम गरांबार सितम
आज सहना है हमेशा तो नहीं सहना है
ये तेरी हुस्न से लिपटी हुई आलाम की गर्द
अपनी दो-रोजा जवानी की शिकस्तों का शुमार
चांदनी रातों का बेकार दहकता हुआ दर्द
दिल की बेसूद तड़प जिस्म की मायूस पुकार
चंद रोज़ और मेरी जान फक़त चंद ही रोज़ …
इक ज़रा सब्र कि फ़रियाद के दिन थोड़े हैं
अरसा-ए-दहर की झुलसी हुई वीरानी में
हमको रहना है पर यूँ ही तो नहीं रहना है
अजनबी हाथों का बेनाम गरांबार सितम
आज सहना है हमेशा तो नहीं सहना है
ये तेरी हुस्न से लिपटी हुई आलाम की गर्द
अपनी दो-रोजा जवानी की शिकस्तों का शुमार
चांदनी रातों का बेकार दहकता हुआ दर्द
दिल की बेसूद तड़प जिस्म की मायूस पुकार
चंद रोज़ और मेरी जान फक़त चंद ही रोज़ …
फैज़ अहमद फैज़
(अजदाद = ancestors, मीरास = ancestral property, माजूर = helpless) (महबूस = captive, गुफ्तार = speech, ताजीरें = punishments, मुफलिस = poor, कबा = long gown) (अरसा-ए-दहर=life-time, गरांबार = heavy) (आलाम = sorrow, शिकस्त = defeat, शुमार = inclusion)
(अजदाद = ancestors, मीरास = ancestral property, माजूर = helpless) (महबूस = captive, गुफ्तार = speech, ताजीरें = punishments, मुफलिस = poor, कबा = long gown) (अरसा-ए-दहर=life-time, गरांबार = heavy) (आलाम = sorrow, शिकस्त = defeat, शुमार = inclusion)
Monday, September 1, 2014
Subscribe to:
Posts (Atom)